


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार कूटनीतिक मोर्चे पर बढ़त हासिल कर रहे हैं। अलास्का में अमेरिका के निमंत्रण पर हुई पिछली वार्ता में उन्होंने अपनी शर्तें मनवाईं। अब चर्चा है कि पुतिन, डोनाल्ड ट्रंप और वोलोदिमीर जेलेंस्की की अगली त्रिपक्षीय बैठक हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हो सकती है।
पुतिन को क्यों मिलेगी बढ़त?
हंगरी रूस का करीबी देश है और यूक्रेन की आलोचना करता रहा है। प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन और पुतिन के बीच गहरे संबंध हैं। हंगरी नाटो सदस्य होते हुए भी रूस से तेल और गैस खरीदता रहा है और कई बार यूक्रेन को युद्ध विराम की सलाह दी है।
यूक्रेन की परेशानी
बुडापेस्ट का नाम यूक्रेन के लिए आसान नहीं है। 1994 में यहीं बुडापेस्ट मेमोरेंडम साइन हुआ था, जिसमें यूक्रेन ने परमाणु हथियार छोड़ दिए थे। तभी से उसकी स्थिति रूस के मुकाबले कमजोर मानी जाती है। हाल ही में रूस की तेल पाइपलाइन पर हमले के बाद हंगरी ने सीधे यूक्रेन की आलोचना की थी।
अमेरिका और यूरोप की भूमिका
ट्रंप मानते हैं कि हंगरी त्रिपक्षीय वार्ता के लिए उपयुक्त जगह है। रिपोर्ट कहती है कि पुतिन जल्द ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी मुलाकात कर सकते हैं। स्विट्जरलैंड ने भी मध्यस्थता की पेशकश की है। अगर मीटिंग बुडापेस्ट में होती है तो यह न केवल रूस की कूटनीतिक बढ़त साबित होगी बल्कि पुतिन के लिए “अखंड रूस” की महत्वाकांक्षा की दिशा में एक और कदम भी माना जाएगा।